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संपूर्ण भगवत गीता मराठी निरूपण

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कुरुक्षेत्र  की युद्धभूमि में  श्रीकृष्ण  ने  अर्जुन  को जो  उपदेश  दिया था वह  श्रीमद्भगवदगीता  के नाम से प्रसिद्ध है। यह  महाभारत  के  भीष्म पर्व  का अंग है। गीता में १८ अध्याय और ७०० श्लोक हैं। यह कृष्ण और अर्जुन के सम्वाद के रूप में है। गीता की गणना  प्रस्थानत्रयी  में की जाती है, जिसमें  उपनिषद्  और  ब्रह्मसूत्र  भी सम्मिलित हैं। अतएव भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है। उपनिषदों को  गौ  और गीता को उसका  दुग्ध  कहा गया है। इसका तात्पर्य यह है कि उपनिषदों की जो अध्यात्म विद्या थी, उसको गीता सर्वांश में स्वीकार करती है। उपनिषदों की अनेक विद्याएँ गीता में हैं। लगभग 20वीं सदी के शुरू में  गीता प्रेस गोरखपुर  (1923) के सामने गीता का वही पाठ था जो आज हमें उपलब्ध है। 20वीं सदी के लगभग भीष्मपर्व का  जावा की भाषा  में एक अनुवाद हुआ था। उसमें अनेक मूलश्लोक भी सुरक्षित हैं।  श्रीपाद कृष्ण बेल्वेलकर  के अनुसार जावा के इस प्राचीन संस्करण में गीता के केवल साढ़े इक्यासी श्लोक मूल  संस्कृत  के हैं। उनसे भी वर्तमान पाठ का समर्थन होता है। ब्रह्म